Internal Structure of Computer

  Internal Structure of Computer A computer device is made up of various elements which help in its effective functioning and processing. There are five basic components of the computer which help in making this processing of data easier and convenient.  Input Unit Output Unit Central Processing Unit (CPU) ·          Input Unit A computer will only respond when a command is given to the device. These commands can be given using the input unit or the input devices.  For example: Using a keyboard we can type things on a Notepad and the computer processes the entered data and then displays the output of the same of the screen. The data entered can be in the form of numbers, alphabet, images, etc. We enter the information using an input device, the processing units convert it into computer understandable languages and then the final output is received by a human-understandable language. ·   ...

आउटपुट डिवाइसेज (Output Devices)

 आउटपुट डिवाइसेज  (Output Devices)

कम्प्यूटर में प्रोसेस और आॅरगेनाइज होने के लिए बहुत सारा डाटा फीड होता है। उपयोगी फाॅर्म में प्रोसेस हुआ डाटा आउटपुट कहलाता है। कम्प्यूअर यूजर की जरूरत और इस्तेमाल हो रहे हार्डवेयर और साॅफ्टवेयर के आधार पर विभिन्न प्रकार के आउटपुट जनरेट करता है। आप कम्प्यूटर द्वारा तैयार किए गए आउटपुअ को देख, सुन और प्रिंट कर सकते हैं। अपने डेस्कटाॅप के माॅनीटर पर देखकर आप स्क्रीन में सूचना देख सकते हैं कुछ प्रिन्टर्स काले-सफेद अक्षर व ग्राफिक्स प्रिन्ट करते हैं और कुछ प्रिन्टर्स रंगीन भी प्रिन्ट करते है। इसलिए आप रंगीन डाॅक्यूमेंन्ट्स, फोटोग्राफ्स और ट्रांसपेरेन्सीज प्रिन्ट कर सकते है। कम्प्यूटर के स्पीकर्स और हैडसेट के जरिए आप साउण्ड, म्यूजिक और वाॅइस सुन सकते है।


परिणामों को आउटपुट डिवाइसेज की सहायता से प्रस्तुत किया जाता है। सामान्यतया निम्नलिखित आउटपुट उपकरण काम में लिये जाते हैं।


1.    प्रिंटर        (Printer)

2.    माॅनिटर    (Monitor)

3.    प्लोटर      (Plotter)

4.    स्पीकर     (Speaker) 


1. प्रिंटर (Printer)


आउटपुट डिवाइसेज  (Output Devices)


इस डिवाइस के माध्यम से हार्ड काॅपी प्राप्त कि जा सकती है। सामान्यतया दो प्रकार के प्रिन्टर उपलब्ध है।

(1) इम्पैक्ट प्रिंटर  (Impact Printer)  (2) नाॅन इम्पैक्ट प्रिंटर  (Non Impact Printer)

(1) इम्पैक्ट प्रिंटर

 इम्पैक्ट प्रिंटर को ऐसे प्रिन्टरों के रूप में वर्णित किया जाता है जिनमें कागज पर अक्षर बनाने के लिए, स्याही युक्त रिबन से कागज पर स्थानान्तरित करने हेतु, एक प्रकार का प्रहार करने का उपकरण प्रयुक्त होता है।  यह प्रिंटर दो प्रकार के होते है:-

करैक्टर प्रिंटर (Character Printer)  लाइन प्रिंटर (Line Printer)

करैक्टर प्रिन्टर (Character Printer)  

करैक्टर प्रिन्टर के द्वारा एक समय में एक करैक्टर को प्रिन्ट कराया जाता है। इसकी गति करैक्टर प्रति सैकण्ड में मापी जाती है। यह प्रिंटर भी दो प्रकार के होते है:-

(a) Dot Matrix Printer (b) Daisy Wheel Printer 

 (a) Dot Matrix Printer  

यह प्रिन्टर वर्तमान में सबसे अधिक लोकप्रिय है। इस प्रकार के प्रिन्टर में करेक्टर 97 पिनों से जो एक मैट्रिक्स के रूप में होती है से प्रिंट किये जाते है। इसमें कम्प्यूटर की मैमोरी से एक बार में एक करेक्टर भेजा जाता है, जो प्रिन्टर प्रिन्ट करता है। ये 80 करेक्टर प्रति सैकण्ड से 1500 करेक्टर प्रति सैकण्ड तक की गति से प्रिन्टिग कर सकने में सक्षम होते है।


 (b) Daisy Wheel Printer 

यह भी एक अक्षर प्रिन्टर है इसमें एक चक्र Wheel लगा होता है जिसके ऊपरी भाग पर विभिन्न अक्षर उभरे हुए होते है। यह एक निश्चित गति पर घूमता है तथा जब भी कोई अक्षर प्रिन्ट करना होता है तो एक हेमर रिबिन पर टकराता है। जिससे उसकी इमेज कागज पर आ जाती है इसलिए इसे हेमर प्रिन्टर भी कहते है। 

यह प्रिन्टर दो प्रकार का होता है:-

 लाइन प्रिन्टर (Line Printer)

लाइन प्रिन्टर में एक बार में एक पूरी लाइन को प्रिन्ट कराया जा सकता है। इसकी गति काफी तेज होती है।

 यह तीन   प्रकार के होते है:-

(अ) चेन प्रिन्टर    (Chain Printer)    (ब) ड्रम प्रिन्टर    (Drum Printer)    (स) बैन्ड प्रिंटर    (Band Printer)


(अ) चेन प्रिंटर (Chain Printer) 

इस प्रकार के प्रिन्टर में लोहे की एक चेन होती है जिस पर समस्त अक्षर चिपके होते है और आवष्यकतानुसार अक्षर प्रिन्ट करता है। इस प्रकार के प्रिंटर का एक लाभ यह है कि चैन को विभिन्न प्रकार के फोन्टस या स्आइलों में बदला जा सकता है।

(ब) ड्रम प्रिंटर  (Drum Printer)

  इस प्रकार के प्रिन्टर में एक बेलनाकार गोल ड्रम होता है जिस पर विभिन्न अक्षर उभारे जाते है यह बहुत तीव्र गति से घूमता है और कागज पर लाईन छप जाती है।

(स) बैन्ड प्रिंटर  (Band Printer) 

 यह एक लाइन प्रिंटर है जो 3000 लाइन पर सैकण्ड प्रिंट करता है। इसमें एक बैंड होता है जो बहुत तेज गति से घूमता है। प्रत्येक प्रिंट की स्थिति पर हेमर होता है जो एक चिन्ह पर स्ट्राइक करता है।

(2.) नाॅन इम्पेक्ट प्रिंटर

 (Non Impact Printer)  इस प्रकार के प्रिन्टर सीधे कागज के सम्पर्क में नहीं आते है, तथा एक बार में पूरा पेज की छाप देता है। इस श्रीणी में निम्न प्रिन्टर आते है:-

(i) थर्मल प्रिंटर  (Thermal Printer)    (ii) इंक जेट प्रिंटर (Ink Jet Printer)    (iii)लेजर प्रिन्टर (Laser Printer)


(i) थर्मल प्रिंटर (Thermal Printer)

थर्मल प्रिन्टर पेपर धूप व गर्मी से exposure होने के कारण Darken  over time  दिशा में चलता हैं । प्रिन्ट का स्टैण्डर्ड Poor  होता है। थर्मल प्रिंटर बैटरी पावर एक्यूपमेन्ट जैसे केलकुलेटर में प्रयोग किया जाता है। 

 

(ii) इंक जेट प्रिन्टर(Ink Jet Printer) 

यह सबसे अच्छे तथा सस्ते प्रिन्टर की श्रेणी में आता है इसके माध्यम से रंगीन प्रिंटिंग  भी की जा सकती है । अक्षर इलेक्ट्रिकली चार्ज या पेपर पर गर्म स्याही के स्प्रे होने से बनता है। प्रिन्टिग हेड में नोजल उच्च Resolution  (400 Dot Per Inch) डोट मैट्रिक्स अक्षर उत्पन्न करते है। प्रिंटिंग  कीयह विधि 200 अक्षर प्रति सैकण्ड उत्पन्न कर सकती है। 


(iii) लेजर प्रिन्टर (Laser Printer)  

यह सबसे ज्यादा काम में लिया जाने वाला प्रिन्टर है। इसकी कार्यक्षमता बहुत अच्छी है सामान्यतया यह डी.टी.पी. कार्य में काम आता हैै। लेजर प्रिंटर लेजर बीम और सूखी पावडर स्याही को एक अच्छा डोट मेट्रिक्स पेटर्न को उत्पन्न करने के लिये उपयोग करते है। प्रिंटिंग  की यह विधि A 4  पेपर को 4 पेज प्रति मिनट उत्पन्न करते है।


2. माॅनीटर (Monitor)

कम्प्यूटर माॅनिटर, स्क्रीन या VDU  (विज्यूअल डिस्पले यूनिट) साधारण आउटपुट डिवाइस है। यह टी.वी स्क्रीन के समान होता है। इस पर किसी भी प्रकार का परिणाम देखा जा सकता है 

यह सामान्यतया दो  प्रकार के होते हैं


1. मोनोक्रोम 

2. कलर

मोनोेक्रोम मोनिटर एक ही रंग के होते है इसे श्वेत श्याम माॅनिटर भी कहते है कलर माॅनिटर जिसमें तीन रंग (हरा ,नीला ,व लाल) मुख्य रंग होते है। इनकी सहायता से कई अन्य रंग बनाये जाते है। आज के समय में मोनिटर तीन साईज में उपलब्ध है।

1. 14" इंच

2. 15" इंच

3. 17" इंच

एक माॅनिटर पर 24 पंक्ति (Row) तथा 80 स्तम्भ (Column) होते है।


3. प्लोटर (Plotter)

यह एक आउटपुट उपकरण है जिसका प्रयोग नक्षे, चार्ट तथा चित्र बनाने में किया जाता है। प्लोटर की सहायता से त्रिविमिय रेखाचित्र भी बना सकते हैं। 

प्लोटर दो प्रकार के होते हैः-

(1) फ्लैट बैड प्लोटर

(2) ड्रम प्लोटर


(1)   फ्लैट बैड प्लोटर:- 

 यह एक प्लोटर है जहाँ एक समतल सतह पर पेपर स्थिर होता है और इमेज को ड्रा करने के लिये मूव करता है। यह प्लोटर ड्रा करने के लिये कुछ विभिन्न कलर पेन उपयोग करता है। प्लोट का आकार प्लौटर बेड के आकार के समान सीमित होता है।


(2) ड्रम प्लोटर:-

 इस प्लोटर में पेन सिंगल एक्सिस ट्रेक में मूव करता है और पेपर , अन्य एक्सिस या डाइमेन्शन Add  करने के लिए एक सिलेन्ड्रीकल ड्रम पर मूव करते है। इसलिए ग्राफ का आकार सीमित होता है और लम्बा कितना भी हो सकता है।

4. स्पीकर (Speaker)

स्पीकर कंप्यूटर की ऑडियो आउटपुट डिवाइस है, जो म्यूजिक, स्पीच और बिप्स (Bips) जैसी अन्य आवाजे निकालता है. 

आज आपने क्या सीखा  ?

मुझे पूर्ण आशा है की मैंने आप लोगों को   आउटपुट डिवाइसेज क्या है  ? (Output Device)  इसके बारे सरल  भाषा में पूरी जानकारी दी हमारा उदेश्य सरल भाषा के साथ समझाना और में पूर्ण रूप आशा करता हूँ आप लोगों को ये बहुत अच्छे ढंग से समझ आ गया होगा। 

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