Internal Structure of Computer

  Internal Structure of Computer A computer device is made up of various elements which help in its effective functioning and processing. There are five basic components of the computer which help in making this processing of data easier and convenient.  Input Unit Output Unit Central Processing Unit (CPU) ·          Input Unit A computer will only respond when a command is given to the device. These commands can be given using the input unit or the input devices.  For example: Using a keyboard we can type things on a Notepad and the computer processes the entered data and then displays the output of the same of the screen. The data entered can be in the form of numbers, alphabet, images, etc. We enter the information using an input device, the processing units convert it into computer understandable languages and then the final output is received by a human-understandable language. ·   ...

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ? परिभाषा, प्रकार, कार्य, विशेषताएं

 ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है  ? परिभाषा, प्रकार, कार्य, विशेषताएं 

 परिचय

 ऑपरेटिंग सिस्टम एक तरह का कम्प्यूटर का कन्ट्रोल प्रोग्राम है।  यह हमे फाइलों पर नियंत्रण रखने में मदद करता है। आॅंपरेटिंग सिस्टम प्रोग्रामों का एक सैट है जो कि साॅफ्टवयेर पर कार्यरत होता है व हार्डवयेर का उपयोग कार्य करने हेतु बनाता है। आॅपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर सिस्टम का एक महत्वपूर्ण भाग है जो कि कम्प्यूटर सिस्टम के शेष सभी भागों पर नियंत्रण करता है। अतः आॅपरेटिंग सिस्टम स्वयं में कुछ विशेष प्रोग्रामों का संग्रह है। ये प्रोग्राम हमारे निर्देशों व प्रश्नों का कम्प्यूटर भाषा में या मशीनी भाषा में अनुवाद करते है। और उसके बाद कम्प्यूटर के प्रत्युत्तर को मशीनी भाषा में इंगलिश में परिवर्तित करते है। 

इस प्रकार हम कह सकते है कि  ऑपरेटिंग सिस्टम एक कम्प्यूटर की सभी डिवाइसों का नियंत्रण करता है। आॅपरेटिंग सिस्टम को मास्टर कंट्रोल प्रोग्राम भी कहते है। कम्प्यूटर के आॅन होने के बाद आॅपरेटिंग सिस्टम सबसे पहले मेमोरी में संग्रहित हो जाता है फिर आॅपरेटिंग सिस्टम डिस्क पर संग्रहीत रहता है। 

 ऑपरेटिंग सिस्टम क्या करता है ? 

जैसे ही हम कम्प्यूटर चालू करते है, तो कम्प्यूटर यह जांच करता है कि हमारे सभी आन्तरिक साधन जैसे-रैम, रोम, विभिन्न पेरीफेरल साधन जैसे- प्रिंटर , माॅनीटर, मेेमोरी इत्यादि ठीक से काम कर रहे है अथवा नहीं। यह जाँच पूरी होने के बाद आॅपरेटिंग सिस्टम लोड किया जाता है। जैसा कि पहले बताया गया है आॅपरेटिंग सिस्टम भौतिक नियम रखता है जो सभी प्राग्रामों को मानने पड़ते है।


 ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य 

     ऑपरेटिंग सिस्टम का महत्वपूर्ण एवं प्राथमिक कार्य है- नियन्त्रण (Control) और प्रबन्धन (Management)   ऑपरेटिंग सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि प्रक्रिया के लिये प्रविष्ट प्रोग्राम अपने कार्यों को क्रमानुसार सम्पन्न करे और कम्प्यूटर में उपलब्ध संसाधन इस प्रोग्राम के लिये उपलब्ध हों।

 ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य निम्नलिखित है


(1) प्रोसेसर मैनेजमेंट:- इसके अन्तर्गत विभिन्न कार्य प्रोसेसर को सौंपे जाते है जो कि एक कम्प्यूटर सिस्टम द्वारा पूर्ण किये जाने है।

(2) मैमेारी मैनेजमेंट:- इसके अन्तर्गत सिस्टम प्रोग्राम, यूजर प्रोग्राम तथा डाटा को मेन मेमोरी में स्टोर कराया जाता है।

(3) इनपुट/आउटपुट मैनेजमेंट:- इस मैनेजमेंट के अन्तर्गत विभिन्न इनपुट तथा आउटपुट डिवाइसों का समन्वय तथा उन डिवाइसों को कार्य सौंपा जाना सम्मिलित है जब एक या अधिक प्रोग्राम क्रियान्वित होते है।

(4) आॅपरेटिंग सिस्टम, केन्द्रीय प्रोसेसिंग इकाई के लिए प्रबन्धन का  भी कार्य करता है।

(5) इसमें जाॅब प्राथमिकता (Job Priority)  का निर्माण तथा उसको बढ़ावा दिया जाता है। यह निर्धारित करता है कि एक कम्प्यूटर सिस्टम में कौन-सा कार्य पहले किया जाना चाहिये।

(6)  ऑपरेटिंग सिस्टम नीतियों को संचालित करता है।

(7) विभिन्न कमाण्ड तथा निर्देशों के बीच आपसी समझ स्थापित करना ।

(8)  ऑपरेटिंग सिस्टम, सिस्टम की सामान्य त्रुटियों से अवगत कराता है।

(9) विभिन्न एरर संदेशों का निर्माण करना।

(10)  ऑपरेटिंग सिस्टम , कम्प्यूटर सिस्टम तथा यूजर के मध्य एक अच्छा कम्यूनिकेशन स्थापित करता है।


 ऑपरेटिंग सिस्टम - एक रिर्सोस मैनेजर (Resource Manager) 

 ऑपरेटिंग सिस्टम प्राथमिक रूप से रिर्सोस मैनेजर के रूप में कार्य करता है। यह निम्नलिखित सुविधाएँ प्रदान करता है:

(1) यह यूजर इन्टरफेस को स्पष्ट करता है।

(2) विभिन्न यूजरों के मध्य हार्डवेयरों को बाँटता है।

(3) विभिन्न यूजरों के मध्य डाटा को बाँटता है।

(4) गलतियों को रिकवर करता है।

(5) इनपुट/आउटपुट की व्यवस्था प्रदान करता है।


 ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार 

एक  ऑपरेटिंग सिस्टम के निम्नलिखित प्रकार हो सकते हैः-

1.    Single User System            2.    Multi programming 


3.    Multiprocessing                 4.    Batch Processing 


(1) सिंगल यूजर सिस्टम (Single User System)

एक सिंगल यूजर आॅपरेटिंग सिस्टम वह होता है जिसमें केवल एक प्रोग्राम एक बार में क्रियान्वित होता है। पहले समय के अधिकांश आॅपरेटिंग सिस्टम सिंगल यूजर होते थेे इस सिस्टम में प्रोग्राम एक लाइन में व्यवस्थित रहते है।

(2) मल्टी प्रोग्रामिंग  (Multi programming)

 आॅपरेटिंग सिस्टम विशेष प्रोग्रामों का एक समूह है जो कम्प्यूटर की क्रियाओं को एक प्रोग्राम से दूसरे प्रोग्राम में स्थानान्तरित करके गति देता है। आजकल कई आॅपरेटिंग सिस्टम अनेक कार्य एक साथ करने की सुविधा देते है। जिसे मल्टी प्रोगा्रमिंग कहते है। अन्य शब्दों में दो या दो से अधिक प्रोग्रामों का एक ही समय में एक ही कम्प्यूटर द्वारा क्रियान्वित होना ही मल्टी प्रोग्रामिंग कहलाता है।

 

(3) मल्टी प्रोसेसिंग  ( Multiprocessing) 

मल्टी प्रोसेसिंग शब्द का प्रयोग एक प्रोसेसिंग दृष्टिकोण को स्पष्ट करने के लिये किया जाता है जहाँ पर दो तथा अधिक प्रोसेसर एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। इस प्रकार के सिस्टम मंे भिन्न तथा स्वतंत्र प्रोग्रामों के निर्देश एक ही समय में एक से अधिक प्रोसेसरों द्वारा क्रियान्वित किये जाते है मल्टीप्रोसेसिंग का प्रयोग आपस में जुड़े हुए कम्प्यूटरों , जिनमें दो या अधिक सी.पी.यू. लगे हो तथा उनमें यह क्षमता हो कि वह विभिन्न प्रोग्रामों का क्रियान्वयन एक साथ कर सकें, में होता है। मल्टीप्रोसेसिंग से कम्प्यूटर की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। यह तकनीक पैरेलल प्रोसेसिंग को सहायता प्रदान करती है। तथा इस तकनीक में एक सी.पी.यू. खराब होने पर कार्य दूसरे सी.पी.यू. द्वारा किया जा सकता है।

 

(4) बैच प्रोसेसिंग (Batch Processing)

 बैच प्रोसेसिंग एक बहुत पुराना तरीका है जिसके माध्यम से विभिन्न प्रोग्रामों को क्रियान्वित किया जा सकता है और इसका प्रयोग विभिन्न डाटा प्रोसेसिंग सेंटर पर कार्यों को क्रियान्वित करने के लिये किया जाता है। आॅपरेटिंग सिस्टम की यह तकनीक आॅटोमैटिक जाॅब-परिवर्तन के सिद्धान्त पर निर्भर है। यही सिद्धान्त अधिकांश आॅपरेटिंग सिस्टमों द्वारा प्रदान किया जाता है।

बैच प्रोसेसिंग को हम Serial ,Sequential, Off-Line तथा Stacked Job Processing   भी कहते है। जब कम्प्यूटर इस तकनीक के लिये प्रयोग किया जाता है तथा इनपुट डाटा को क्रियान्वित करने के लिये आॅपरेटरों के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है तो यह कार्य स्वतः ही हो जाता है। इसमें बहुत से अलग -अलग कार्य एक ही समय में एक-एक करके क्रियान्वित किये जाते हैं। 


टाइम-शेयरिंग (Time Sharing)  

जब सी.पी.यू. को विभिन्न  उपयोगकर्ता  के मध्य कार्य के लिए उपलब्ध कराया जाता है अर्थात् किसी निर्धारित कार्य को करने के लिए  उपयोगकर्ता द्वारा सी.पी.यू. के उपयोग का समय विभाजन कर दिया जाता है ता यह टाइम शेयरिंग कहलाता है।


लेडर्स व लिंकर्स

लेडर्सः- लोडर्स वह सिस्टम प्रोग्राम होते है जो कि लाइब्रेरी से अनुवादित प्रोग्रामों तथा अन्य प्रोग्रामों को ग्रहण करते है वे उन्हें संचालित करने के लिए निर्देशों व डाटा को प्राइमरी स्टोरेज स्थान पर रखते है।


लिकर्स 

लिंकर्स महत्वपूर्ण कार्य लिंक करने के लिए उत्तरदायी  होते है। लिंक करने की प्रक्रिया में कई स्रोत मोड्यूल्स (अनुवादक द्वारा अनुवादित प्रोग्राम) को परस्पर मिलाकर एक मशीनी भाषा का प्रोग्राम बनाया जाता है। 


आज आपने क्या सीखा  ?

मुझे पूर्ण आशा है की मैंने आप लोगों को ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है  ऑपरेटिंग सिस्टम क्या करता है इसके बारे सरल  भाषा में पूरी जानकारी दी और में पूर्ण रूप आशा करता हूँ आप लोगों को ये बहुत अच्छे ढंग से समझ आ गया होगा। 


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